इंजीनियर दिवस : à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियरà¥à¤¸ डे मनाया जाता है। इसे देश के पहले सिविल इंजीनियर डॉ. à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ की जयंती के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में मनाया जाता है।
- इंजीनियरिंग और शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उनका योगदान महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है।
- उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बांधों, जलाशयों और जल-विदà¥à¤¯à¥à¤¤ परियोजनाओं के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ वाले महान राषà¥à¤Ÿà¥à¤°-निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं में से à¤à¤• माना जाता है।
इंजीनियरà¥à¤¸ डे इतिहास:
- 1968 में, à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने सर à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ की जयंती को इंजीनियरà¥à¤¸ दिवस के रूप में घोषित किया था।
- तब से, यह दिन उन सà¤à¥€ इंजीनियरों को समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ करने और सà¥à¤µà¥€à¤•ार करने के लिठमनाया जाता है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने योगदान दिया है और अà¤à¥€ à¤à¥€ à¤à¤• आधà¥à¤¨à¤¿à¤• और विकसित à¤à¤¾à¤°à¤¤ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठà¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे हैं।
- उनका जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤, शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का और तंजानिया में इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सर मोकà¥à¤·à¤—à¥à¤‚डम विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾:
- सर à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ का जनà¥à¤® 15 सितंबर 1861 को करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¨à¤¹à¤²à¥à¤²à¥€ गांव में à¤à¤• तेलà¥à¤—ू परिवार में हà¥à¤† था।.
- विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ के पिता का नाम शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤¸ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ था, जो संसà¥à¤•ृत के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के डॉकà¥à¤Ÿà¤° थे।
- विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ ने अपनी सà¥à¤•ूली शिकà¥à¤·à¤¾ अपने गृहनगर में पूरी की ।
- बाद में मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में BA की पढ़ाई करने चले गà¤à¥¤
- फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना करियर सà¥à¤µà¤¿à¤š किया और पà¥à¤£à¥‡ में कॉलेज ऑफ साइंस में सिविल इंजीनियरिंग में डिपà¥à¤²à¥‹à¤®à¤¾ किया।
- 1883 में पूना के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिगà¥à¤°à¥€ हासिल करने के बाद विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ को ततà¥à¤•ाल ही सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी।
- वे मैसूर के 19वें दीवान थे और 1912 से 1918 तक रहे ।
- मैसूर में किठगठउनके कामों के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ 'मॉरà¥à¤¡à¤¨ मैसूर का पिता' कहा जाता है ।
à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚:
- विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ बांधों में पानी के वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ को रोकने के लिठबà¥à¤²à¥‰à¤• सिसà¥à¤Ÿà¤® के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• थे।
- 1903 में, सर à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ ने ऑटोमैटिक बैरियर वाटर फà¥à¤²à¤¡à¤—ेट को डिजाइन और पेटेंट कराया था।
- इसे पहली बार पà¥à¤£à¥‡ में खडकवासला जलाशय में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया था।
- उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤¸à¥€ नदी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हैदराबाद शहर के लिठबाढ़ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ तैयार की।
- हैदराबाद में 1908 में à¤à¤• विनाशकारी बाढ़ के बाद, ततà¥à¤•ालीन निज़ाम ने सर à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ की सेवाओं से à¤à¤• डà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‡à¤œ सिसà¥à¤Ÿà¤® तैयार करने और शहर को बाढ़ से बचाने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया था।
- इंजीनियर ने सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤œ जलाशयों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखा और हैदराबाद से बहने वाली मà¥à¤¸à¥€ नदी के पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को रोकने के लिठशहर के बाहर à¤à¤• सीवेज फारà¥à¤® à¤à¥€ बनाया.अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ à¤à¥€ उनकी इंजीनियरिंग का लोहा मानते थे।
- à¤à¤® वी मैसूर में महान कृषà¥à¤£ राजा सागर बांध के आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ थे।
- सर à¤à¤® वी ने 1909 में मैसूर राजà¥à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ इंजीनियर के रूप में और 1912 में मैसूर रियासत के दीवान के रूप में कारà¥à¤¯ किया।
- à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ ने मैसूर राजà¥à¤¯ में कई नई रेलवे लाइनों को à¤à¥€ चालू किया था।
- तिरà¥à¤®à¤¾à¤²à¤¾ और तिरà¥à¤ªà¤¤à¤¿ के बीच सड़क निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की योजना तैयार करने में à¤à¥€ उनका योगदान है।
कई पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ारों से किठगठसमà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤:
- सर à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ को 1955 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया था।
- किंग जॉरà¥à¤œ पंचम ने जनता की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ के लिठउनके योगदान के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ (KCIE) के नाइट कमांडर के रूप में नाइट की उपाधि दी है।
- उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 1912 से 1918 तक मैसूर के दीवान के रूप में कारà¥à¤¯ कियाय इंजीनियर दिवस पर, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° सर à¤à¤® विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि देता है।
विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ है रेल यातà¥à¤°à¤¾ का ये दिलचसà¥à¤ª किसà¥à¤¸à¤¾
- à¤à¤• बार डॉ विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• रेलगाड़ी से यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे थे।
- इस रेल में ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ सवार थे. अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मूरà¥à¤– और अनपढ़ समà¤à¤•र मज़ाक उड़ा रहे थे।
- इस दौरान डॉ विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ ने अचानक रेल की जंज़ीर खींच दी।
- थोड़ी देर में गारà¥à¤¡ आया और सवाल किया कि जंज़ीर किसने खींची? तब डॉ विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ ने कहा कि जंजीर मैंने खीचीं है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरा अंदाजा है कि यहां से लगà¤à¤— कà¥à¤› दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हà¥à¤ˆ है ।
- इसपर गारà¥à¤¡ ने पूछा कि आपको कैसे पता चला? तब विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥ˆà¤¯à¤¾ ने कहा कि'गाड़ी की सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• गति में अंतर आया है और आवाज़ से मà¥à¤à¥‡ खतरे का आà¤à¤¾à¤¸ हो रहा है।
- इसके बाद पटरी की जांच हà¥à¤ˆ तो पता चला कि à¤à¤• जगह से रेल की पटरी के जोड़ खà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ हैं और सब नट-बोलà¥à¤Ÿ खà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ हैं।
विशà¥à¤µ इंजीनियरिंग दिवस (World Engineering Day):
- विशà¥à¤µ इंजीनियर दिवस कई देशों में वरà¥à¤· की अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है।
- वरà¥à¤²à¥à¤¡ फेडरेशन ऑफ इंजीनियरिंग ऑरà¥à¤—ेनाइजेशन (WFEO) ने हालांकि 4 मारà¥à¤š को ‘सतत विशà¥à¤µ के लिठविशà¥à¤µ इंजीनियरिंग दिवस के रूप में नामित किया है।