बालिका पंचायत: भारत की पहली बालिका पंचायत, जिसे “बालिका पंचायत” कहा जाता है, गुजरात के कच्छ जिले के कई गांवों में शुरू की गई थी।
बालिका पंचायत पहल:
बालिका पंचायत पहल लड़कियों के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ राजनीति में लड़कियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
यह पहल किस विभाग ने शुरू की?
बालिका पंचायत पहल गुजरात सरकार के महिला एवं बाल विकास कल्याण विभाग द्वारा शुरू की गई थी। इसे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत शुरू किया गया है।
गुजरात के किस जिले को होगा फायदा?
वर्तमान में यह पहल गुजरात के कच्छ जिले के कुनारिया, मोटागुआ, मस्का और वडसर गांवों में शुरू की गई है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूरे भारत में बालिका पंचायत शुरू करने की योजना बना रहा है।
बालिका पंचायत का प्रबंधन कौन करता है?
“बालिका पंचायत” का प्रबंधन 11-21 वर्ष की आयु के लोग करते हैं।
बालिका पंचायत के उद्देश्य:
बालिका पंचायत का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देना है।
यह समाज से बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने का भी प्रयास करती है।
इसका उद्देश्य पंचायत में निर्णय लेने की प्रक्रिया में लड़कियों का नामांकन कराना है।
यह पहल बचपन से ही लड़कियों को राजनीति में सक्रिय बनाने का प्रयास करती है।
बालिका पंचायत के सरपंच:
20 वर्षीय उर्मी अहीर को बालिका पंचायत का सरपंच बनाया गया है।
बालिका पंचायत में सदस्य का नामांकन:
बालिका पंचायत का सदस्य ग्राम पंचायत की तरह ही मनोनीत होता है।
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